बीकानेर का इतिहास || history of Bikaner- bikamer history in hindi
बीकानेर
बीकानेर
👉 प्राचीन नाम- जंगल देश
👉 शासक वंश- राठौड़
👉 संस्थापक- राव बिका
👉 स्थापना -1465 ईस्वी
👉 कुल- सूर्यवंशी
👉 कुलदेवी- नागणेची माताा
👉 सह शाखा - (जोधपुर राठौड़ वंश से ही बीकानेर शाखा उत्पन्न )
👉 अंग्रेज भक्त राजपूत रियासत- बीकानर
👉 राजधानियां
- कोडमदेसर- 1465 ईस्वी (राव बिका द्वारा)
- बीकानेर- 1488 (राव बिका द्वारा)
👉 अफगान नरेश शेरशाह सूरी की अधीनता स्वीकार वाला बीकानेर का प्रथम नरेश- राव कल्याणमल
👉 मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार वाला बीकानेर का प्रथम नरेश- राव कल्याणमल
👉 खानवा युद्ध में भाग लेने वाला बीकानेर नरेश राव जैतसी ने अपने पुत्र कुंवर कल्याणमल को भेजा
👉 सुमेल गिरी युद्ध में भाग लेने वाला बीकानेर नरेश - राव कल्याणमल
👉 महाराज एवं महाराजाधिराज की उपाधि धारण करने वाला प्रथम बीकानेर नरेश - रायसिंह बीकानेरी
👉 मानसिंह कछवाहा के बाद अकबर एवं जहांगीर का सर्वाधिक कृपा पात्र राजपूत नरेश - महाराजा रायसिंह बीकानेरी
👉 बीकानेरी चित्रकला शैली का स्वर्णिम काल -महाराजा अनूप सिंह
👉- मुगलों का सर्वाधिक विश्वासपात्र बीकानेर नरेश - महाराजा रायसिंह बीकानेरीी
👉 अंग्रेजों का सर्वाधिक विश्वासपात्र बीकानेर नरेश -महाराजा गंगा सिंह राठौड़
👉 बीकानेर नरेश जी सेे अकबर ने जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया- महाराजा रायसिंह बीकानेरी
👉 राजपूताने का अंतिम नरेश जी से औरंगजेब ने शिवाजी के विरुद्ध नियुक्त किया - महाराजा अनूप सिंह राठौड़ बीकानेरी
👉 राजपूताने का एकमात्र नरेश जो 1857 के विरोध में बिना अंग्रेजों की अनुमति के राजस्थान से बाहर पंजाब में विद्रोह दबाने गया -महाराजा सरदार सिंह
👉 बीकानेरी भुजिया की शुरुआत- महाराजा डूंगर सिंह के काल में
👉 कुप्रथाओं का अंत -
- 1828 ईसवी में महाराजा रतन सिंह राठौड़ के काल में कन्या वध करने का राजपूत सरदारों का निश्चय ।
- महाराजा सरदार सिंह राठौड़ के काल में सती प्रथा व जीवित समाधि पर रोक
👉 कंपनी से संधि -
- महाराजा सूरत सिंह राठौड़ के काल में
- 5 मार्च/ 21 मार्च 1818 ईसवी
👉 1857 की क्रांति
- महाराजा सरदार सिंह राठौड़ के काल में
👉 बीकानेरी प्रजामंडल -
अवधि - 4 अक्टूबर 1936 ईस्वी
संस्थापक- मगाराम वैद्य, बाबू मुक्ता प्रसाद, रघुवर दयाल गोयल,
(महाराजा गंगा सिंह राठौड़ के काल में)
👉 एकीकरण में बीकानेर का विलय -
- नरेश - महाराजा सार्दुल सिंह राठौड़
- चरण संख्या चतुर्थ
- चरण का नाम- वृहत्तर राजस्थान संघ
- विलय अवधि - 30 मार्च 1949 ईसवी
👉 उपाधियां-
- कलयुग का कर्ण - राहुल लूणकरण राठौड़ (जैतसी रो छंद एवं कर्मचंद्रवंशोत्कीर्तनकंकाव्यम् के अनुसार)
- महाराजा - रायसिंह बीकानेरी
- महाराजाधिराज- रायसिंह बीकानेरी
- राय - रायसिंह बीकानेरी
- राजपूताने का कर्ण - रायसिंह बीकानेरी (मुंशी देवी प्रसाद के अनुसार )
- राजेंद्र - रायसिंह बीकानेरी (कर्मचंद्रवंशोत्कीर्तनकंकाव्यम् के अनुसार)
- जंगलधर बादशाह - महाराजा कर्ण सिंह द्वारा (कंधार अभियान के दौरान राठौड़ी सेना की सुरक्षित निकासी पर प्रसन्न राजपूतों द्वारा)
- माही मरातिब - महाराजा अनूप सिंह राठौड़
- केसर ए हिंद - महाराजा गंगा सिंह राठौर (1901 ईसवी में अंग्रेजों द्वारा)
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• कुछ गाइडों एवं विद्वान अध्यापकों के अनुसार बीकानेर के राठौड़ कुल की देवी करणी माता है जो बेबुनियाद एवं तर्कहीन तथ्य हैं। वैसे भी हिंदू परंपरा के अनुसार बाप बेटे एवं पूरे कुल की कुलदेवी एक ही होती है चाहे कुल के सदस्य कहीं भी रहे अतः यह कैसे संभव है कि राव जोधा की कुलदेवी तो नागणेची माता है एवं उसके जेष्ठ पुत्र राव बिका की करणी माता। वास्तव में करणी माता बीकानेर राजघराने की आराध्य देवी है।
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बीकानेर का इतिहास || history of Bikaner- bikamer history in hindi
Reviewed by Ramcharan jat
on
March 13, 2020
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